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स्वरमणि संगीताचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा : एक जीवन परिचय


15 दिसंबर 1957 को जयपुर जिले के बोलबा गांव में आपका जन्म एक संगीत परिवार में हुआ। आपके पिता जी गोपाल लाल जी अपने समय के सुप्रसिद्ध गायक व कीर्तनकार थे। माताजी सरस्वती देवी एक भजनानंदी ग्रहणी थी।


बनवारी लाल जी का जन्म ही संगीत के माहौल में हुआ। बचपन से आपका रूझान तबले में था लेकिन पिता इन्हे गायक बनाना चाहते थे। बनवारी जी ने उस्ताद काले खां साहब से तबला सीखा । लेकिन यह बात बनवारी जी के पिता जी को पसंद नहीं थी लेकिन बनवारी लाल जी ने तबले की शिक्षा को जारी रखा।


कुछ  समय  बाद  उन्होंने  पंडित लक्ष्मीनारायण जी और पंडित गिरधारी जी महाराज से तबले की शिक्षा लेना शुरू किया। इसके साथ ही पंडित जी तेज प्रकाश तुलसी (दिल्ली वाले) से कत्थक नृत्य की शिक्षा ली। पिताजी से अनबन और पारिवारिक कारणों से बनवारी जी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से माध्यमिक की शिक्षा ही प्राप्त कर सके और उन्हें संगीत में विशारद की डिग्री भातखंडे संगीत विद्यापीठ लखनऊ से प्राप्त हो सकी। बनवारीलाल जी आकाशवाणी जयपुर के ” ए”  ग्रेड कलाकार हैं ।


1978 में आपका विवाह शांति देवी जी से हुआ। आपकी पत्नी को भी संगीत का बहुत शौक है। आप भगवान की भक्ति में और भगवान की सेवा में हमेशा रहती हैं। आपने अपने घर वृन्दावन में श्री राधा कृष्ण जी का विग्रह स्थापित किया है।

1975 से 1982 तक आपने महारानी कॉलेज में संगीत की सेवाएं दी और 1983 से 2000 तक एम जी डी गर्ल्स स्कूल में कथक नृत्य और तबला गुरु की सेवाएं दी। आपने गायन की शिक्षा पंडित राजारामजी शुक्ल जी से प्राप्त की। आपने 2000 से 2011 तक मुंबई में रहकर शास्त्री संगीत सीखा और वहां पर रहकर शिष्य भी तैयार किये। इस प्रकार बनवारी लाल जी धीरे-धीरे गायन वादन और नृत्य तीनो ही विद्याएं सीखने में कामयाब रहे। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पंडित बनवारी लाल जी चहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। मुंबई से जयपुर लौटने पर अपने अंशकालिक रूप से जयपुर कथक केंद्र में भी अपनी सेवाएँ दी। आपने बहुत से ऐसे शिष्य तयार किये जो गायन, वादन और कत्थक के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं।


आप काई सुप्रसिद्ध कलाकारों के साथ संगत कर चुके हैं। इनमें प्रमुख पंडित शशि मोहन भट्ट संगीत, पंडित निखिल बनर्जी सितार, पंडित वी. जी. जोग वायलिन, पंडित गोपाल कृष्ण कथक, पंडित बिरजू महाराज कथक, पंडित बृजमोहन जी, नित्याचार्य पंडित गौरी शंकर जी, पंडित कुंदन लाल जी, पंडित हजारीलाल जी, पंडित जगदीश जी गंगानी, पंडित मदन महाराज, श्रीमती गीतांजलि लाल, श्रीमती शोभा कौसर, श्रीमती सुले, पंडित जगदीश प्रसाद नागपुर वाले, पंडित जसराज, पंडित चिरंजी लाल जी तंवर, समिति कंकना बनर्जी, पंडित गोविंद प्रसाद, पंडित लक्ष्मण शर्मा, सोहन सिंह जी, उस्ताद मोइनुद्दीन खान, बिहारी बाबा, पंडित जगदीश प्रसाद शर्मा, सर्वोत्तम भट्ट, रिहाना मिर्जा , प्रवीण मिर्जा, वंदना शर्मा, शंभू नाथ मुखर्जी इत्यादि ।


सम्मान: आपको महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, स्वर्णमणि सम्मान, शहरीदास पुरस्कार आदि पुरस्कारों से विभूषित किया गया। इसके अलावा मुंबई की सप्तक संस्था द्वारा मल्हार उत्सव, गंगोर उत्सव, तीज महोत्सव में आपका सम्मान किया गया।

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